आचार्य श्रीराम शर्मा >> विवाह दिवसोत्सव कैसे मनाएँ विवाह दिवसोत्सव कैसे मनाएँश्रीराम शर्मा आचार्य
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विवाह दिवसोत्सव कैसे मनाएँ
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नया उल्लास, नया आरम्भ
पति-पत्नी को नये वर्ष का नये उल्लास एवं नये आनन्द से परिपूर्ण जीवन बनाने-बिताने की नई प्रेरणा के साथ अपना नया कार्य-क्रम बनाना चाहिए। अब तक का वैवाहिक जीवन अस्त-व्यस्त रहा हो तो रहा हो, पर अब अगले वर्ष के लिए यह प्रेरणा लेनी चाहिए, ऐसी योजना बनानी चाहिए कि वह अधिकाधिक उत्कृष्ट आदर्श एवं आनन्ददायक हो। उस दिन को अधिक मनोरंजक बनाने के लिए छुट्टी के दिन के रूप में मनोरंजक कार्यक्रम के साथ बिताने की व्यवस्था बन सके तो वैसा भी करना चाहिए। विवाह का दिन केवल कर्मकाण्ड की दृष्टि से ही नहीं भावना, उल्लास एवं उत्साह की दृष्टि से भी विवाह दिन की अभिव्यक्तियों के पुनःसंस्करण के रूप में मनाया जा सके ऐसा प्रबन्ध करना चाहिए। इस प्रेरणाप्रद दिन में एक कार्यक्रम यह भी होना चाहिए कि दोनों एकान्त में बैठ कर अब तक के जीवन की समीक्षा करें। जो भूलें हुई हो उसके लिए एक-दूसरे से क्षमा मंगिं। जो प्रसन्नतावर्धक काम हुए हों उसके लिए एक-दूसरे के प्रति कृतज्ञता प्रकट करें और भावी जीवन की ऐसी सुव्यवस्थित योजना बनावें जिस पर चलते हुए गृहस्थ में स्वर्ग के अवतरण का आनन्द लिया जा सके।
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- विवाह प्रगति में सहायक
- नये समाज का नया निर्माण
- विकृतियों का समाधान
- क्षोभ को उल्लास में बदलें
- विवाह संस्कार की महत्ता
- मंगल पर्व की जयन्ती
- परम्परा प्रचलन
- संकोच अनावश्यक
- संगठित प्रयास की आवश्यकता
- पाँच विशेष कृत्य
- ग्रन्थि बन्धन
- पाणिग्रहण
- सप्तपदी
- सुमंगली
- व्रत धारण की आवश्यकता
- यह तथ्य ध्यान में रखें
- नया उल्लास, नया आरम्भ